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Wednesday, August 3, 2011

Fwd: [GURUVANNI] jigyasa aur samadhan: पूज्य गुरूदेव मेरे घर में मैं मेरी पत्नी और...



---------- Forwarded message ----------
From: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>
Date: 2011/8/3
Subject: [GURUVANNI] jigyasa aur samadhan: पूज्य गुरूदेव मेरे घर में मैं मेरी पत्नी और...
To: mggarga4@gmail.com


jigyasa aur samadhan: पूज्य गुरूदेव मेरे घर में मैं मेरी पत्नी और मेरा ब...: " जिज्ञासु :- पूज्य गुरूदेव मेरे घर में मैं मेरी पत्नी और मेरा बड़ा बेटा तीन लोग कमाने वाले हैं !पैसा पर्याप्त है !साधन संपन्न हूँ !लकिन घ..."


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Posted By Madan Gopal Garga to GURUVANNI at 8/03/2011 09:19:00 PM

jigyasa aur samadhan: पूज्य गुरूदेव मेरे घर में मैं मेरी पत्नी और मेरा ब...

jigyasa aur samadhan: पूज्य गुरूदेव मेरे घर में मैं मेरी पत्नी और मेरा ब...: " जिज्ञासु :- पूज्य गुरूदेव मेरे घर में मैं मेरी पत्नी और मेरा बड़ा बेटा तीन लोग कमाने वाले हैं !पैसा पर्याप्त है !साधन संपन्न हूँ !लकिन घ..."

आज का विचार - 8/2/11






हमारे जीवन का स्वर्णिम कल आज पर निर्भर है। भविष्य को उज्जवल करने की आकांक्षा यदि हमारे मन में है तो आज को संवारना होगा।

 

आज जो हमने बोया है, कल वही तो हम काटेंगे ।



परम पूज्य सुधांशुजी महाराज



If the desire to brighten our future is on our mind, then we need to improve our today. Our life's golden tomorrow depends on today.
 
Whatever we sow today that only we shall reap tomorrow.
 
 
Translated by Humble Devotee
Praveen Verma
 
 
 

Fwd: [GURUVANNI] आज का जीवन सूत्र ३-८-११



---------- Forwarded message ----------
From: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>
Date: 2011/8/3
Subject: [GURUVANNI] आज का जीवन सूत्र ३-८-११
To: mggarga4@gmail.com



आज का जीवन सूत्र ३-८-११ 
वाकशूर नहीं ,कर्मशूर बनो ! वाणी का संयम और कर्म का प्रभाव इतना होना चाहिए की व्यक्ति आदर्श बन जाए ! जब आपका व्यवहार बोलने लग जाता हे तो उसका आनन्द सर्वप्रथम स्वंय को ही आता है !
और पढ़ने के लिए ब्लॉग देखें 


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Posted By Madan Gopal Garga to GURUVANNI at 8/03/2011 10:08:00 AM

आज का जीवन सूत्र ३-८-११


आज का जीवन सूत्र ३-८-११ 
वाकशूर नहीं ,कर्मशूर बनो ! वाणी का संयम और कर्म का प्रभाव इतना होना चाहिए की व्यक्ति आदर्श बन जाए ! जब आपका व्यवहार बोलने लग जाता हे तो उसका आनन्द सर्वप्रथम स्वंय को ही आता है !
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