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parampujy Guruvar Sudhanshuji Maharaj ka Shishay

Thursday, June 30, 2011

AMRIT VANI: जब कभी संकट की बेला

AMRIT VANI: जब कभी संकट की बेला: "जब कभी संकट की बेला हो तो एक बात याद रखना की आप हमेशा .............................................."

Wednesday, June 29, 2011

तू-तू ,में-में की लड़ाई से कैसे बचें

तू-तू ,में-में की लड़ाई से कैसे बचे
आदमी कहता है न मैं -मैं हूँ और तू-तू है जब दुसरे को तू को और तू कहने लग जाए और अपनी मैं को मैं कहने लग जाए तो फिर उसी का नाम लड़ाई है तू-तू ,मैं -मैं हो गई लड़ाई के शब्द ही यहाँ से शुरू हो जाते है ! इस लिए हम का प्रयोग  करो  !

Tuesday, June 28, 2011

वे माता पिता अपनी

वे माता पिता अपनी संतान के शत्रु हैं जो अपनी संतान को धन तो देते हैं लेकिन उत्तम शिक्षा और उत्तम संसकार नहीं देते !

Monday, June 27, 2011

AMRIT VANI: मनुष्य विचारों से ही

AMRIT VANI: मनुष्य विचारों से ही: "मनुष्य विचारों से ही बनता है ! हमारे अगर विचार महान होंगे तो................................. ..."

Sunday, June 26, 2011

AMRIT VANI: जहां भी त्याग की भावना

AMRIT VANI: जहां भी त्याग की भावना: "जहां भी त्याग की भावना उत्पन्न होगी उस से पैदा होगा प्रेम ,और प्रेम ही वह बंधन है जो संसार को बांधे हुए है प्रेम ही वह धुरी है जिस पर संसार ..."

Thursday, June 23, 2011

याद रखिए अगर भय है

याद रखिए अगर भय है तो चिंता जरुर होती है ,अगर भय नहीं है तो चिंता भी नहीं है ! इसलिए भय से बचिए !

Wednesday, June 22, 2011

सुख अच्छा लगता है



सुख  अच्छा लगता है दुःख के कारण ,सर्दी अच्छी लगती है गर्मी के कारण ,दिन अच्छा लगता है रात के कारण ,बर्दाश्त करने की आदत बनाएँगे ,संतुलन बना  कर चलेंगे तो परिवर्तन सुखद लगेगा !बहुत सुख की चाह में व्यक्ति थोड़े से दुःख को बर्दाश्त नहीं कर पाता ! संतुलन बना कर आप रहते हें तो ठीक रहते हैं !

Tuesday, June 21, 2011

भय, चिंता , क्रोध


भय, चिंता , क्रोध ,लोभ ,भोग ,उपभोग ,शोक ,मोह यह नौ चीजें हैं जो मनुष्य के अन्दर मृत्यु के पाश का कार्य करती हैं ! इन से सावधान रहना !

Thursday, June 16, 2011

विपरीत समय में दुनिया


विपरीत समय में दुनिया अपना हाथ  छुडा लेती है , लेकिन जो विपत्ति  में साथ देता है , कभी अपना हाथ छुड़ाता  नहीं बल्कि सदा मज़बूती के साथ ज्ञान की किरण रूप में भक्तों के अंग -संग रहता है वही सदगुरु है ! 

: ऐसे न खर्च करना की

AMRIT VANI: ऐसे न खर्च करना की: "• जीवन में हर परिस्थिति में प्रसन्न रहने का स्वभाव बनाओ ! • प्रसन्न रहने के लिए कुछ चीजों का पालन करना चाहिए ! • १-ऐसे न कमाओ कि पाप हो जा................"

Tuesday, June 14, 2011

मूर्खता चोट

AMRIT VANI: मूर्ख: "मूर्खता चोट खाकर समझा करती है ,महामूर्ख चोट ......................................................... !"

Friday, June 10, 2011

अमूल्य बातें

AMRIT VANI: अमूल्य बातें: "समय ,मौत तथा ग्राहक --- किसी का इंतजार नहीं करते ! माता पिता और यौवन --- जीवन में एक ही बार मिलते हैं ! कुसंगति ,निंदा ,स्वार्थ --- इनसे ..."

Monday, June 6, 2011

आपका धन कम

AMRIT VANI: आपका धन कम: "आपका धन कम हो जाए तो चिंता मत करना लेकिन ............................................................ !"

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