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parampujy Guruvar Sudhanshuji Maharaj ka Shishay

Thursday, March 11, 2010

यदि किसी को कुछ दे दिया




"यदि किसी को कुछ दे दिया जाए तो उसे सदा गुप्त ही रहने दो। घर में जब कभी कोई आ जाए तो उसका विधिपूर्वक सत्कार करो। यदि किसी का प्रिय कार्य कर दिया है तो उसके सम्बन्ध में मौन रहो और यदि किसी ने तुम्हारा उपकार किया है तो उसे सबके सामने प्रकट करते रहो।"

परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज

If you give something to somebody, let it be a secret forever. When someone comes to your home, welcome him properly. If you do any task which is dear to someone, remain quiet about it. And if someone does something good for you, you must acknowledge that in front of everyone.



Translated by Humble Devotee
Praveen Verma









संसार में समय को बहुमूल्य संपदा माना गया है




"संसार में समय को बहुमूल्य संपदा माना गया है। समय की रफ़्तार इतनी तीव्र है कि पलक झपकते ही आप पिछड़ सकते है। इसलिए अपने जीवन के हर पल को, क्षण को कीमती मानकर उसका सदुपयोग करो। समय को कभी बरबाद मत करना। क्योंकि समय को जो व्यर्थ बिता देते है, समय उनको बरबाद कर देता है।"

परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज

Time is the most valuable treasure in the world. Time is also fleeting and can be gone within the blink of an eye. That is why, consider every moment of life precious and make good use of your time. Do not waste time. Because the one who wastes time is ruined by time.



Translated by Humble devotee
Praveen Verma


मनुष्य की प्रत्येक इन्द्रिय का अपना धर्म हैन




"मनुष्य की प्रत्येक इन्द्रिय का अपना धर्म है । उसे अपने धर्म का पालन करना चाहिये ।

आँख का धर्म है समस्त प्राणियों में ईश्वर का दर्शऩ करें । कान का धर्म है महापुरुषों की अमृतवाणी सुनना, दूसरों की अच्छाइयाँ सुनना। मुख का धर्म है सत्य और प्रिय वचन बोलना । हाथों का धर्म है सत्कर्म करना, सेवा धर्म अपनाना। प्रत्येक मनुष्य का धर्म है कि अपने प्रति, परिवार के प्रति, समाज के प्रति, राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों को पूरा करें।"


परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज



Every human sensory organ has its own property or attribute. These attributes should exist in all people. The eye's attribute is to see God in all beings and the goodness in people. The ear's attribute is to listen to spiritual teachings of the saints. The mouth's attribute is to speak the truth and to speak sweetly. The hands' attribute is to do good deeds and to serve humanity. It is the duty of every person to utilize the attributes of one's senses towards himself, family, society and the nation.


Translated by Humble Devotee
Praveen Verma

Please tune into JUS ONE (Channel 581 on Dish network) to enjoy the Spiritual Discourses of His Holiness Shri Sudhanshuji Maharaj every day 7:00am & 8:30pm Chicago time.







भविष्य परमात्मा के हाथ में है




"भविष्य जानने की कोशिश मत करो। भविष्य परमात्मा के हाथ में है, वर्तमान आप के हाथ में है। भूतकाल बीत गया, उस की कोई कीमत नहीं । वर्तमान को अच्छा बना रहे है तो

भविष्य की नींव डाल रहे हैं ।"

परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज

Do not try to predict the future. The future is in God's hands. Only the present is in our hands. The past has already happened and there is no value in dwelling on it. If we can better our present then that will be the foundation for a better future.



Translated by Humble Devotee

Praveen Verma


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कर्म और भाग्य दोनो अलग अलग हें

कर्म


कर्म और भाग्य दोनो अलग अलग हें और इनका महत्त्व ही ! कर्मठता पर ध्यान दो और आलस्य को त्यागो ! भाग्यवादी मत् बनो परिश्रम करो !
गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश

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कर्म और भाग्य दोनो




कर्म और भाग्य दोनो अलग अलग हें और इनका महत्त्व ही ! कर्मठता पर ध्यान दो और आलस्य को त्यागो ! भाग्यवादी मत् बनो परिश्रम करो !
गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश

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